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Showing posts from March, 2014

सुब्हान-अल्लाह, ज़िन्दगी बनाए बेहतर

ज़िन्दगी बनाए बेहतर Subhanallah आयुर्वेदिक और यूनानी प्रोडक्ट्स के होलसेलर सैयद सलीम अहमद साहब हमारे एक अच्छे दोस्त हैं। उनके इसरार पर उनके घर जाना हुआ तो उनके घर के चार बच्चों पर इज्तेमाई (सामूहिक) हाज़िरात की। कभी कभी हम हरेक पर अलग अलग हाज़िरात करने के बजाय कई पर एक साथ भी कर लेेते हैं। अगले दिन उनकी बेटी ने अपनी टीचर को बताया कि कैसे उसके साथ एक जिन्न (नज़र न आने वाला चेतन जीवधारी) लग गया था, जब वह उनके साथ मन्दिर के गेट तक गई थी! सलीम भाई की बेटी ने हमारी तारीफ़ में दो चार बातें मज़ीद ऐसी कह दीं कि उनकी टीचर ने फ़ोन करके हमसे मुलाक़ात का टाईम मांगा। बालीं-‘मैं किस वक्त और किसके साथ आऊँ? हमने कहा -‘आप अपनी सहूलत के वक्त अपनी मां या अपने दादा दादी वग़ैरह किसी के साथ आ सकती हैं।’ उन्होंने कहा -’अपने दादा से तो मैं बोलती तक नहीं। मैं अपनी मम्मी के साथ आ जाऊँगी।’ दादा से न बोलने की बात उनके जीवन में नकारात्मकता का पता दे रही थी। नकारात्मकता इंसान को कमज़ोर बनाती है और फिर वह कई तरह के हमलों का आसान शिकार बनकर रह जाता है। उससे अगले दिन 21 मार्च 2014 को वह अपनी मां और सलीम भाई की बेटी को स...